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Sunday, March 27, 2016

Vastu Tips in Hindi By Jain Anusthan

यदि आपके घर का बजट गड़बड़ा गया हो, आप से ज्यादा खर्च होता है, परिवार में अशांति रहती है, नोट कमाने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे हों, तो भगवान को खुश करने के लिए पूजा कक्ष में लाल रंग का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें।

जहां आप बटुआ रखते हों, उस स्थान को भी लाल व पीले कलर से रंग दें। कुछ ही दिनों में फर्क महसूस होगा। यदि आपको लगता है कि आपसे कोई ईर्ष्या करता है, आपके कई दुश्मन हो गए हैं। हमेशा असुरक्षा व भय के माहौल में जी रहे हों, तो मकान की दक्षिण दिशा में से जल के स्थान को हटा दें। इसके साथ ही एक लाल रंग की मोमबत्ती आग्नेय कोण में तथा एक लाल व पीली मोमबत्ती दक्षिण दिशा में नित्यप्रति जलाना शुरू कर दें।

घर में बेटी जवान है, उसकी शादी नहीं हो पा रही है, तो एक उपाय करें- कन्या के पलंग पर पीले रंग की चादर बिछाएं, उस पर कन्या को सोने के लिए कहें। इसके साथ ही बेडरूम की दीवारों पर हल्का रंग करें। ध्यान रहे कि कन्या का शयन कक्ष वायव्य कोण में स्थित होना चाहिए।

कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी बेरोजगार रह जाता है। वह नौकरी के लिए जितना अधिक प्रयास करता है, उसकी कोशिश विफल होती जाती है। इसके लिए व्यक्ति भाग्य को जिम्मेदार ठहराता है। लेकिन अपने भाग्य को कोसने के बजाय एक उपाय करें- नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं, तो जेब में लाल रूमाल या कोई लाल कपड़ा रखें। सम्भव हो, तो शर्ट भी लाल हनें। आप जितना अधिक लाल रंग का प्रयोग कर सकते हैं, करें।

लेकिन यह याद रखें कि लाल रंग भड़कीला ना लगे सौम्य लगे। रात में सोते समय शयन कक्ष में पीले रंग का प्रयोग करें। याद रखें, लाल, पीला व सुनहरा रंग आपके भाग्य में वृद्धि लाता है। अतः हमेशा अपने साथ रखें व इन रंगों का व्यवहार ज्यादा से ज्यादा करें, सफलता मिलेगी।

जीवन में पीले रंग को सफलता का सूचक कहा जाता है। पीला रंग भाग्य में वृद्धि लाता है। कन्या की शादी में पीले रंग का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कन्या ससुराल में सुखी रहेगी।

विवाह निर्विघ्न होने की शुभ सूचना वस्तुतः हल्दी से सम्पन्न होती है, क्योंकि हल्दी को गणेशजी की उपस्थिति माना जाता है। और जिस कार्य में गणेश जी स्वयं उपस्थित हों, उस कार्य को पूरा करने में विघ्न कैसे आ सकता है।

हल्दी की गांठों में कभी-कभी गणेश जी की मूर्ति का चित्र मिलता है। लक्ष्मी अन्नपूर्णा भी हरिद्रा कहलाती हैं। श्री सूक्त में वर्णन किया गया है कि लक्ष्मी जी पीत वस्त्र धारण किए है। अतः आप समझ सकते हैं कि हल्दी का कितना महत्व है। इतना ही नहीं, बृहस्पति का रंग भी पीत वर्ण का है, तभी तो पीत रंग का पुखराज पहनकर बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है।
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Wednesday, March 16, 2016

क्या आपके बच्चो का पढाई में मन नहीं लगता ? By Jain Anusthan

Vaastu tips by Jain Anusthan :प्रत्येक अभिवावक की आकांक्षा होती है कि वह अपनी सन्तान को हर सम्भव साधन जुटाकर बेहतर से बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा सके जिससे उसके व्यकितत्व में व्यापकता आये और वह स्वंय जीवनरूपी नैय्या का खेवनहार बनें। सारी सुविधायें होने के बावजूद भी जब बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है एंव जो कुछ पढ़ते है, वह शीघ्र ही भूल जाते हैं या फिर अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परीक्षाफल सामान्य ही रहता है। ऐसे में बच्‍चे को डांटिये फटकारिये मत, बल्कि उसे समझाईये और उसका मनोबल बढ़ाईये। हो सकता है उसके परिणाम में सुधार आये, लेकिन फिर भी अगर उसकी परफॉर्मेंस औसत दर्जे की होती है, तो एक बार उसके स्‍टडी रूम के वास्‍तु पर ध्‍यान दीजिये। आम तौर पर ऐसी सिथतियों में वास्तु का सहयोग लेने से आश्चर्यचकित परिणाम सामने आते है। अध्ययन कक्ष में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़े एंव मन एकाग्र होकर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो सके।
Vaastu tips by Jain anusthan

रात को आधिक देर तक नहीं पढ़ना चाहिए-रात्रि को आधिक देर तक नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध, दृषिट दोष, पेट रोग आदि समस्यायें होने की प्रबल आशंका रहती है। ब्रहममुहूर्त या प्रात:काल में 4 घन्टे अध्ययन करना राति्र के 10 घन्टे के बराबर होता है। क्योंकि प्रात:काल में स्वच्छ एंव सकारात्मक ऊर्जा संचरण होती है जिससे मन व तन दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।

किताबों की अलमारी-अध्ययन कक्ष में किताबों की अलमारी को पूर्व या उत्तर दिशा में बनायें तथा उसकी सप्ताह में एक बार साफ-सफार्इ अवश्य करनी चाहिए। अलमारी में सरस्वती  जी की फोटो लगाकर नित्य पूजा करनी चाहिए। सरस्वती चूर्ण का सेवन करना चाहिए |

कक्ष पूर्व दिशा में-बीएड, प्रशासनिक सेवा, रेलवे, आदि की तैयारी करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि सूर्य सरकार एंव उच्च पद का कारक तथा पूर्व दिशा का स्वामी है।

अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में-बीटेक, डाक्टरी, पत्रकारिता, ला, एमसीए, बीसीए आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए तथा पढ़ने वाली मेज आग्नेय कोण में रखनी चाहिए। क्योंकि मंगल अगिन कारक ग्रह है एंव दक्षिण दिशा का स्वामी है।

अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में-एमबीए, एकाउन्ट, संगीत, गायन, और बैंक की आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि बुध वाणी एंव गणित का संकेतक है एंव उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।

रिसर्च तथा गंभीर विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पशिचम दिशा में होना चाहिए क्योंकि शनि एक खोजी एंव गंभीर ग्रह है तथा पशिचम दिशा का स्वामी है।

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घर में अध्ययन कक्ष-घर में अध्ययन कक्ष ईशान कोण अथवा पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए। अध्ययन कक्ष शौचालय के निकट कदापि न बनवायें।

कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग- अध्ययन कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग करें। जैसे- हल्का पीला, गुलाबी, आसमानी, हल्का हरा आदि।

पढ़ने वाली टेबल को दीवार से सटा कर न रखें - पढ़ने वाली टेबल को दीवार से सटा कर न रखें। पढ़ते वक्त रीढ़ को हमेशा सीधा रखें। लेटकर या झुककर नहीं पढ़ना चाहिए। पढ़ने की सामग्री आखों से लगभग एक फीट की दूरी पर रखनी चाहिए।

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पढ़ने की टेबल - पढ़ने की टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा पढ़ते समय मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में ही होना चाहिए। इन दिशाओं की ओर मुख करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है जिससे स्मरण शकित बढ़ती है एंव बुद्धि का विकास होता है।


Sunday, March 13, 2016

हत्था जोडी

                                                            
हत्था जोड़ी प्रकृति की अनमोल देनों में से एक हैं, हत्था जोड़ी अति दुर्लभ वस्तु मानी जाति हैं क्योकी यह आसानी से प्राप्त नहीं होती, हत्था जोड़ी एक विरुपा नामक पौधे की किसी-किसी जड़ में पायी जाता हैं,सभी जड़ों में नहीं पायी जाती। हत्थाजोड़ी का आकार हमारे दोनों हाथों के समान होता हैं,हत्थाजोड़ी में दोनो हाथ नींचे से आपस में जुडे़ हुवे प्रतित हैं कई-कई हत्थाजोड़ी का उपरी भाग भी आपसे में जुड़ा होता है, और उसके उपरी भाग में पांच-पांच अंगुलीयों के समान आकृतिया दिखाई देती हैं इस कारण इसे हत्थाजोड़ी के नाम से जाना जाता हैं।
जिस प्रकार हत्था जोड़ी देखने में अन्य दुर्लभ चिज-वस्तुओं की तुलनामें अद्भुत एवं बेजोड़ प्रतित होती हैं ठीक उसी प्रकार एक प्रामाणिक एवं अभिमंत्रित या प्राण-प्रतिष्ठित हत्था जोड़ी के आश्चर्यजनक प्रभावों की तुलना किसी और चिज-वस्तुओं से नहीं हो सकती हैं। इसीलिये तो कई सदींयों से मंत्र, तंत्र आदि विद्या में हत्थाजोडी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
हत्थाजोडी विभिन्न तांत्रिक प्रयोगों में काम आती हैं,जानकार विद्वानों का कथन हैं की एक सिद्ध हत्थाजोड़ी को केवल अपने साथ रखने मात्र से ही छोटे-बडे़ अनेक संकटों का स्वतः ही निवारण हो जाता हैं। हत्था जोड़ी को अपने पास रखने से आकस्मिक दुर्घटना आदि का भय नहीं सताता। एसा माना जाता हैं की जिस मनुष्य के पास में हत्था जोड़ी होती हैं उसके उपर कोई टोने-टोटके, तांत्रिक प्रयोग आदि का प्रभाव नहीं होता हैं!
v  जानकारों के मतानुसार हत्थाजोड़ी का प्राप्ति स्थान मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, फ्रांस, जर्मनी, एशियाई महाद्वीप के निकटतम क्षेत्रों में पाई जाती है।
v  हत्थाजोड़ी का विशेष प्रयोग तांत्रिको द्धारा तंत्र क्रियाओं में किया जाता है, हत्थाजोडी शीध्र प्रभावी एवं चमत्कारी वस्तु होने की कारण ही विभिन्न तंत्र शास्त्र में हत्थाजोड़ी के अनेक उपयोग बताये गये है।
v  विद्वानों का कथन हैं की जिस मनुष्य के पास असली सिद्ध हत्थाजोड़ी होती है, उसका भाग्य दिन दोगुनी-रात चौगुनी तेजी से चमकता देखने मिलता हैं!
v  एसी मान्यता हैं की जिस व्यक्ति के पास हत्थाजोड़ी होती हैं उसके खिलाफ किये गये सभी झुठे आरोप, षड़यंत्र, टोने-टोटके, तांत्रिक कर्म इत्यादि निष्फल हो जाते हैं, बडे़ से बडे़ शत्रु का प्रभाव उसके समक्ष क्षिण हो जाता हैं और बडे़ से बडे़ तांत्रिकों की तंत्र किया ये निष्फल हो जाते हैं। कुछ जानकारों का तो यहां तक कहना हैं यदि कुछ विशेष मंत्रों से सिद्ध कि गई हत्थाजोड़ी को यदि व्यक्ति अपने पास रखता हैं तो उसका बडे़ से बड़ा शत्रु भी उसके आगे नतमस्त्क हो जाता हैं।
v  यदि किसी व्यक्ति के उपर उसके विरोधि या शत्रुओं ने झुठे आरोप लगाकर कोर्ट-कचहरी, मुकदमें इत्यादि में फंसा दिया हो तो हत्थाजोड़ी के प्रभाव से उसे मुकदमे में विजय की प्राप्ति होती हैं और उसके शत्रु वशीभूत हो जाते हैं।
v  हत्थाजोड़ी को पास रखने से राजकीय अर्थात सरकारी कार्यो से जुडे़ छोटे-बडे़ सभी अधिकारी व्यक्ती के वशीभूत हो जाते हैं। यदि कोई सरकारी अधिकारी बिना किसी कारण आपको अनायास ही अपने पद व सत्ता का फायदा उठाकर आपको परेशान कर रहा हो या कष्ट दे रहे हो, तो इस में जराभीं संदेह नहीं हैं कि हत्थाजोड़ी आपके लिये रामबाण औषधि के रुप में साबित हो सकती हैं! क्योकि हत्थाजोड़ी एक अनुभूत एवं दिव्य वस्तु हैं।
v  सिद्ध की हुई हाथाजोडी को चांदी या स्टील की डिब्बी में लौंग, इलायची व सिन्दूर के साथ ही डिब्बी को बंध कर के रखना चाहिए। दैनिक पूजन के समय उस डिब्बी को खोलकर, धूप-दीप दिखाकर उसे बंधकर देना चाहिए।
v  हाथाजोड़ी घर में होने से पति-पत्नी में आपसी प्रेम बढ़ता हैं व दांपत्य सुख में वृद्धि होती हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु हाथाजोड़ी अचूक उपाय सिद्ध हो सकती है। जिस घर में पूर्ण विधि-विधान से अभिमंत्रित या सिद्ध की गई हाथाजोड़ी का पूजन होता है, उस घर के सदस्य सभी प्रकार की परेशानीयों से सुरक्षित रहते हैं, परिवार की आर्थिक स्थिती दिन प्रतिदिन उन्नत होती जाती हैं और व्यक्ति श्री सम्पन्न बना रहता है।
v  सिद्ध हाथाजोड़ी को कोई भी व्यक्ति चाहें वह स्त्री हो या पुरूष चाहे किसी धर्म या वर्ण का हो वह सरलता से पूजन कर सकते हैं। हाथाजोड़ी का पूजन करने वाले व्यक्तियों का व्यक्तित्व एवं प्रभाव अन्य व्यक्ति की अपेक्षा निश्चित रुप से अत्याधिक प्रभावशाली होता हैं। हाथाजोड़ी के विशेष प्रयोगों से पूजन कर्ता व्यक्ति में विलक्षण सम्मोहन शक्ति जाग्रत हो सकती हैं! 
v  सिद्ध हाथाजोड़ी व्यक्ति को भूत-प्रेत, मारण-उच्चाटन,कामण-टूमण इत्यादि उपद्रवों से रक्षा होती हैं। व्यक्ति की धन-संपत्ति में निश्चित रुप से वृद्धि होने लगती हैं। हत्थाजोडी का विधिवत पूजन करने से वाणी के दोष और रोग नष्ट होते हैं। हत्थाजोडी को तिजोरी में रखने से व्यवसाय स्वतः बढने लगता हैं।
v  कुछ विद्वानों का तो यहां तक कथन हैं की हाथाजोड़ी के नियमित पूजन एवं दर्शन से व्यक्ति का सोया भाग्य जाग जाता हैं, और उसके बिगडे़ कार्य जल्द ही बनने लगते है। इसकी शक्ति को बढ़ाने के लिए हाथाजोड़ी के साथ में सियारसिंगी और बिल्लीनाल को एक साथ रखना चाहिए।
हत्था जोड़ी  के लिए कांटेक्ट करें +918000456677 , our website jainanusthan.com or contact us on facebook.com/jainanusthan and twitter.com/jainanusthan

Saturday, March 12, 2016

108 names of giriraj by jainanusthan

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Thursday, March 10, 2016

इन फायदों को जानकर आप भी जरुर धारण करेंगे रुद्राक्ष

*रुद्राक्ष ही एक मात्र ऐसा फल है जो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर माना जाता है।
*धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है।
*ज्योतिषीय दृष्टि से भी रुद्राक्ष धारण करने के बड़े फायदे बताए गए हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के बीमार होने का बड़ा कारण ग्रहों की प्रतिकूलता होती है। रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की प्रतिकूलता दूर होती है। चाहे व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो या शनि ने चन्द्रमा को पीड़ित करके आपके जीवन में कष्ट भर दिया हो रुद्राक्ष हर हाल आपके लिए फायदेमंद होता है।
*कालसर्प के कारण जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तब भी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूल फल की प्राप्ति होती है।

इसलिए हर व्यक्ति को रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए ?

*रुद्राक्ष के वैज्ञानिक परीक्षण से प्रमाणित होता है कि यह रक्तचाप संतुलित रखने में बहुत ही कारगर होता है यानी बल्ड प्रेशर संबंधी परेशानियों में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

*रुद्राक्ष बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है। आज के समय में अक्सर लोग तनाव और चिंता में डूबे रहते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियों से लोग पीड़ित हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियां में कमी आती है, उत्साह और उर्जा में वृद्घि होती है।

*रुद्राक्ष के विषय में यह भी पाया गया है कि यह किडनी के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा मधूमेह और दिल के मामले में रुद्राक्ष धारण करना फायदेमंद होता है।

तो आज ही धारण करे रुद्राक्ष , ज्यादा जानकारी के लिए : jainanusthan.com or +918000456677

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